बरिएट्रिक या मेटाबोलिक सर्जरी पश्चिमी देशों में काफी होती है और अब भारत में भी बढ़ती संख्या में होने लगी है| इसको मेटाबोलिक सर्जरी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह न की केवल वजन घटाती है, परन्तु उसके साथ सम्बंधित अन्य बीमारियां जैसे की डायबिटीज, उच्च रक्तचाप अथवा हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल इत्यादि बीमारियों का भी निवारण कराने में सक्षम है| बरिएट्रिक सर्जरी को इतना अधिक असरदार पाया गया है की अब इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार 30-35 के बीच में BMI होने पर भी यदि डायबिटीज की शिकायत हो तो इस सर्जरी की सलाह देने के निर्देश हैं|
बरिएट्रिक सर्जरी अब दूरबीन विधि द्वारा की जाती है तथा दो तरीके की हो सकती है – गैस्ट्रिक बाईपास और स्लीव गॅस्ट्रेक्टोमी|
गैस्ट्रिक बाईपास के बाद लगभग 70% मरीज़ों में डायबिटीज जड़ से खत्म हो जाती है| अन्य मरीज़ों में संपूर्ण निवारण यदि संभव नहीं हो, तो भी डायबिटीज पहले से काफी ज़्यादा कंट्रोल में लाई जा सकती है| ज्यादातर मरीज़ों को या तो इंजेक्शन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती या पहले से काफी काम ज़रुरत पड़ती है| ऐसे ही यदि वह गोलियां खाते हों, तो उनकी ज़रुरत भी या तो बंद या कम हो जाती है और ध्यान देने लायक यह है की यह बदलाव सर्जरी के तुरंत बाद ही आ जाता है, चाहे वजन सर्जरी के १ साल बाद तक भी धीरे धीरे कम होता रहता है| इस तुरंत बदलाव का कारण है शरीर में होने वाले कुछ केमिकल बदलाव जिससे की हमारे शरीर का हार्मोन ज्यादा अच्छी तरह काम करने लगता है|
स्लीव गॅस्ट्रेक्टोमी के साथ भी डायबिटीज के कंट्रोल में काफी बदलाव आता है तथा जैसे जैसे वजन घटता है, वैसे वैसे शरीर को डायबिटीज की दवाईयों की ज़रुरत काम पड़ती जाती है तथा अन्य तकलीफें जैसे की ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस, स्लीप एपनिया इत्यादि में काफी आराम आता है|
डायबिटीज, जो की एक उम्रभर की तकलीफ है, उसके संपूर्ण निवारण अथवा असरदार कंट्रोल से बहुत फायदे पहुँचते हैं|
डायबिटीज के साथ जुडी जटिलताओं जैसे की गुर्दों का फ़ैल होना, पैरों की नसों पर असर, आँखों में रेटिनोपैथी, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, इत्यादि से बचा जा सकता है| सर्जरी ही डायबिटीज का एक मात्र इलाज है जो आपकी आयु बढ़ाता है तथा आपको स्फूर्ति तथा सेहत का अहसास भी देता है|
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